परमजीत कुमार/देवघर. कार्तिक पूर्णिमा के साथ ही कार्तिक माह का समापन हो जाएगा. कार्तिक पूर्णिमा पर्व को बेहद खास माना जाता है. इस दिन व्रत और स्नान दान का खास महत्व है. कार्तिक माह की पूर्णिमा भगवान विष्णु का विशेष दिन है. माना जाता है कि इसी दिन भगवान विष्णु ने जल प्रलय से बचने के लिए मत्स्य अवतार लिया था. इस गंगा आदि पवित्र नदियों में स्नान का कई गुना फल मिलता है. लेकिन, इस कार्तिक पूर्णिमा की तिथि को लेकर असमंजस की स्थिति है. देवघर के ज्योतिषाचार्य ने इस दुविधा को दूर किया.
देवघर के प्रसिद्ध ज्योतिषाचार्य पंडित नंदकिशोर मुद्गल ने बताया कि इस साल कार्तिक पूर्णिमा का व्रत 27 नवंबर को रखा जाएगा. इस दिन जातक अगर गंगा में स्नान और दान करता है तो उसके सभी तरह के पाप धुल जाते हैं. वहीं कार्तिक पूर्णिमा के दिन व्रत रखने से मनुष्य को दोहरे फल की प्राप्ति होती है. एक भगवान विष्णु का आशीर्वाद मिलता है, वहीं दूसरा भगवान शिव का भी आशीर्वाद मिलता है. क्योंकि भगवान शिव ने इसी दिन राक्षस त्रिपुरासुर का वध किया था. वहीं इस दिन अमृत सिद्धि योग और सर्वार्थ सिद्धि योग का भी निर्माण हो रहा है, जो इस दिन को सबसे उत्तम और खास दिन बनाता है.
कार्तिक पूर्णिमा तिथि का आरंभ
कार्तिक पूर्णिमा तिथि का आरंभ रविवार दोपहर 3 बजकर 56 मिनट से शुरू होने जा रहा है और समापन अगले दिन सोमवार यानी 27 नवंबर दोपहर 2 बजकर 55 मिनट पर होगा. उदया तिथि को मानते हुए 27 नवंबर को ही कार्तिक पूर्णिमा का व्रत, स्नान और दान रखा जाएगा. वहीं, माना जाता है कि कार्तिक पूर्णिमा के दिन ब्रह्म मुहूर्त में स्नान और पूजा करनी चाहिए. इससे भगवान विष्णु प्रसन्न होते हैं और जातक की मनोकामना पूर्ण होती है. ब्रह्म मुहूर्त सुबह 5 बजकर 05 मिनट से लेकर 6 बजकर 05 मिनट तक रहने वाला है.
क्या करें कार्तिक पूर्णिमा के दिन
कार्तिक पूर्णिमा के दिन जातक को गंगा स्नान कर भगवान विष्णु की पूजा आराधना करनी चाहिए. साथ ही इस दिन शिवलिंग के ऊपर जल जरूर अर्पण जरूर करें. वहीं रात्रि में चंद्रमा को विष्णु मंत्र का जाप करते हुए अर्घ जरूर दें. इससे घर में सुख समृद्धि बढ़ेगी और ग्रह नक्षत्र के परेशानियों से छुटकारा मिल जाएगा.
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पहले प्रकाशित : 21 नवंबर, 2023, 3:43 अपराह्न IST