परमजीत कुमार/देवघर. कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी को बहुत ही खास दिन माना जाता है, क्योंकि इस दिन भगवान विष्णु चार महीने के बाद जागते हैं, इसलिए इस दिन को देवउठनी या देवउथान एकादशी भी कहते हैं और इस दिन तुलसी विवाह भी है. भगवान विष्णु के जागने के साथ ही सभी तरह के मांगलिक धार्मिक कार्य शुरू होते हैं. वहीं आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को हरीशयन एकादशी होती है. उस दिन से भगवान विष्णु चार महीने तक निंद्रा मुद्रा में चले जाते हैं. फिर कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि यानी देवउठनी या देवउथान एकादशी को जागते हैं.
इन चार माह के दरमियान सभी तरह के मांगलिक और शुभ कार्य बंद रहते हैं. माना जाता है कि इस दिन शालिग्राम और तुलसी का विवाह कराने से जीवन में आने वाले सभी तरह के कष्ट समाप्त हो जाते हैं और मोक्ष की प्राप्ति होती है. आइये देवघर के ज्योतिसाचार्य से जानते हैं कि देवउठनी एकादशी और तुलसी विवाह किस दिनहै और क्या शुभ योग बन रहे हैं?
क्या कहते हैं देवघर के ज्योतिषाचार्य
देवघर के प्रसिद्ध ज्योतिषाचार्य पंडित नंदकिशोर मुद्गल ने लोकल 18 को बताया कि कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी को देवउठनी एकादशी कहा जाता है. इस दिन भगवान विष्णु जागते हैं. इस साल देवउठनी एकादशी या तुलसी विवाह 23 नवंबर को मनाया जाएगा. इसी दिन तुलसी और शालिग्राम की विवाह संपन्न कराया जाता है. अगर आप तुलसी और शालिग्राम का विवाह संपन्न कराते हैं तो आपके लिए मोक्ष के द्वार खुल जाते हैं और कन्यादान के सामान फल की प्राप्ति होती है. वहीं इस साल देवउठनी एकादशी के दिन अमृत सिद्धि योग और रवि योग भी लगने जा रहा है. जो इस दिन को और खास बना रहा है.
क्या है पुजा का शुभ मुहूर्त
देवउठनी एकादशी या उत्थान एकादशी तिथि की शुरुआत 22 नवंबर दिन बुधवार रात 11 बजकर 15 मिनट से होने जा रही है और इस तिथि का समापन अगले दिन यानी गुरुवार 23 नवंबर रात 11 बजकर 55 मिनट में हो रहा है. वहीं इस साल तुलसी विवाह और देवउठनी एकादशी के दिन दो बेहद खास योग अमृत सिद्धि योग और रवि योग का निर्माण होने जा रहा है जो कई साल के बाद ऐसा हो रहा है. वहीं तुलसी और शालिगराम विवाह करने का शुभ मुहूर्त 23 नवंबर की शाम 5 बजकर 58 मिनट से प्रारंभ होकर रात 8:00 बजे तक है.
तुलसी विवाह के दिन करें ये कार्य
माना जाता है कि देवउठनी एकादशी तुलसी विवाह का दिन भगवान विष्णु को अतिप्रिय है. तुलसी विवाह के दिन अपने घर के आंगन में तुलसी और शालिग्राम को एक रोली के बंधन में बांध दें और विवाह संपन्न कराएं. इससे कन्यादान के समान फल की प्राप्ति होगी. इसके साथ ही मोक्ष के द्वार भी खुल जाएंगे. वहीं तुलसी विवाह के दिन माता तुलसी को सोलह श्रृंगार का सामान जरूर अर्पण करें और सिंदूर दान करें. इससे अखंड सौभाग्यवती का आशीर्वाद मिलता है.
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पहले प्रकाशित : 21 नवंबर, 2023, 11:11 IST