परमजीत कुमार/देवघर. हिन्दू धर्म मे पंचक को काफी महत्वपूर्ण माना जाता है, क्योंकि ये पांच दिन बहुत ही अशुभ होते हैं. इन पांच दिनों के अंतराल मे कोई भी शुभ कार्य वर्जित रहता है. जैसे गृह प्रवेश, शादी विवाह, घर की ढलाई इत्यादि. पंचक कुछ खास ग्रह नक्षत्र की स्थिति पर बनता है. वहीं, नवंबर महीने मे पंचक छठ के बाद शुरू हो चुका है.
देवघर के प्रसिद्ध ज्योतिष आचार्य पंडित नंदकिशोर मुद्गल ने बताया कि हर महीने में 5 दिन अशुभ माना जाता है, जिसे पंचक कहते हैं. इस पंचक में हर शुभ कार्य की मनाही होती है. वहीं नंबर महीने में पंचक 20 नवंबर से शुरू हुआ है और इसका समापन 24 नवंबर की शाम 4 बजकर 16 मिनट पर होगा. वहीं, पंचक काल के दौरान अगर किसी की मृत्यु हो जाती है तो घर के सदस्य के जीवन पर भी संकट पड़ जाता है. सोमवार को शुरू होने वाला पंचक को राज पंचक कहते हैं.
पंचक में क्या-क्या मनाही
पंचक के दिनों में कई कार्यों की मनाही होती है, जैसे शुभ कार्य या मांगलिक कार्य तो बिल्कुल भी न करें. वहीं पंचक के दिनों में दक्षिण दिशा में यात्रा बिल्कुल भी न करें क्योंकि दक्षिण दिशा यम की दशा मानी जाती है. अगर आपकी दक्षिण दिशा की यात्रा जरूरी है तो निकलने से पहले हनुमानजी की आराधना जरूर कर लें. पंचक के दिनों में घर के छत की ढलाई बिल्कुल नहीं करनी चाहिए. साथ ही उधार लेनदेन से बचना चाहिए. वहीं इन दिनों विशेष कर बहु-बेटियों को मायके या ससुराल नहीं भेजना चाहिए.
कैसे लगता है पंचक
ज्योतिषाचार्य बताते हैं कि धनिष्ठा, पूर्वा भाद्रपद, उत्तरा भाद्रपद, रेवती और शतभिषा इन पांच नक्षत्रों में चंद्रमा के गोचर करने पर पंचक लगता है और यह पांचों नक्षत्र अशुभ माने जाते हैं. साथ ही चंद्रमा एक साथ कुंभ और मीन राशि में प्रवेश करता है तो पंचक लगता है. नक्षत्रों की चाल के अनुसार, प्रत्येक 27 दिनों के बाद पंचक लगता है. मान्यता है कि इस दौरान कोई भी कार्य शुरू करने पर यह पूर्ण नहीं होता है.
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पहले प्रकाशित : 20 नवंबर, 2023, 4:52 अपराह्न IST